Crypto World में कहा जाता है Buyback Burn Strategy यह दो अलग-अलग स्ट्रेटजीज है जिन्हें आपस में जोड़कर देखा जाता है लेकिन Crypto Buyback and Burn Strategy Kya Hai? क्रिप्टो करेंसी की मार्केट में मूल्य पर उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है पर क्यों होता है क्योंकि मार्केट और Assets नए हैं तो कीमतों में स्थिरता लाने के लिए, टोकन निर्माता Buyback और Burn Strategy का सहारा लेते हैं ताकि सप्लाई और डिमांड चैन है, वह ठीक हो सके, आइए इन दोनों स्ट्रेटजी को विस्तार से अलग अलग समझते हैं.
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Buyback Strategy Kya Hai?
एक Assets या टोकन को वितरण से हटाना ताकि प्राइज में चल रहे जिससे उतार-चढ़ाव ठीक हो सके और डिमांड और सप्लाई के तहत स्थिरता स्थापित करने के लिए Buyback Strategy का प्रयोग किया जाता है,
दूसरे शब्दों में कहें तो जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि बायबैक अर्थात टोकन निर्माताओं ने बाजार में टोकन्स निकाले पर लगा कि डिमांड कम है और टोकन अधिक निकाल दिए गए हैं तो ऐसे में टोकन निर्माता उन टोकन्स को खरीद करके पुनः अपने एक वायलेट में रख देते हैं और जब देखते हैं कि डिमांड अधिक बढ़ रही है तब उन कोइन्स को मार्केट में फिर से लाया जाता है।
Burn Strategy Kya Hai?
बर्निंग का मतलब टोकन्स को अनयूजेबल वायलेट में पार्क कर देना अर्थात डाल देना, इस वॉलेट को जीरो एड्रेस या ईटर एड्रेस वॉलेट भी कहा जाता है। इस वायलेट का एड्रेस किसी के पास भी नहीं होता है, माइनर्स क्रिप्टो को Burn तो कर सकते हैं, प्रूफ ऑफ़ वर्क के तहत पर Buyback Strategy से एसेट्स की सप्लाई
सीमित हो जाती है परंतु Burning से तो एक तरह से उस करेंसी को खत्म करना होता है और बर्निंग से डिजिटल एसेट्स में बहुत बड़ा फर्क पड़ता है। बहुत सारे Coins निर्माता इन दोनों स्ट्रेटजी का भी इस्तेमाल करते हैं।
Buyback and Burn Strategy से क्या फायदा है?
Buyback में क्रिप्टो करेंसी मार्केट में अधिक टोकन जारी किए जाने पर माइनर्स उस क्रिप्टो कॉइन प्राइज की स्थिरता और उस कॉइन कि वैल्यू को बढ़ाने के लिए उन कॉइंस को दुबारा से खरीद लेते हैं और उन्हें अपने पास रख लेते हैं और मार्केट की मांग अधिक होने पर उन्हें दोबारा से क्रिप्टो मार्केट में निकाला जाता है, वहीं Burning में कॉइन को खरीद करके खत्म कर दिया जाता है अर्थात उन्हें शून्य वॉलेट में पार्क या कहें छोड़ दिया जाता है जिन्हें वापस लाना नामुमकिन होता है।
Buyback में टोकन्स को खरीद करके मार्केट में कॉइन की वैल्यू को बढ़ाने के लिए किया जाता है तथा समय आने पर उन्हें फिर से मार्केट में भेज दिया जाता है वही Burning की बात की जाए तो एक बार क्वाइन को खरीद करके, इससे उन कोइन्स कि कीमत तो बढ़ जाती है और संख्या भी कम हो जाती है पर उन्हें खत्म करने के बाद वापस नहीं लाया जा सकता है।
ऐसा शेयर बाजार में भी कई बार कंपनियां करती है अपने प्राइस को बढ़ाने के लिए अपने शेयर्स को Buyback कर लेती हैं जिससे शेयर्स के नंबर कम हो जाते हैं और उनके शेयर्स की कीमत बढ़ जाती है जिससे वह कंपनिया लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
ऐसा क्रिप्टो करेंसी मार्केट में भी होता है जब बाइनेंस ने अपना कोइन्स लांच किया था तभी अपने वाइट पेपर में उन्होंने बोला था कि हम हर 3 महीने में कुछ-कुछ कॉइन बाय-बैक करते रहेंगे जब तक हमारे कॉइन 2 सौ मिलियन से 1 सौ मिलियंस नहीं हो जाते हैं। जिससे आप बाइनेंस Coin के प्राइस को देख करके जरूर सोचते होंगे कि इतने कम समय में यह कॉइंस कैसे इतनी ऊंचाइयों में पहुंच गया तो अब आप समझ गए होंगे कि उन्होंने Buyback Strategy का इस्तेमाल करके लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया और कम समय में एक अच्छी सफलता हासिल कर ली और भी अन्य क्वाइन जैसे एथेरियम में भी अब बाय-बैक स्ट्रेटजी का इस्तेमाल हो रहा है।
आपको बताते चलें कि जो कोइन्स Burn Strategy का इस्तेमाल करते हैं उन्हें भी Buyback Strategy का इस्तेमाल करना ही पड़ता है क्योंकि बर्न करने के लिए बाय बैक करेंगे तभी कॉइंस को वर्न किया जा सकता है।
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FAQ
Crypto Buyback and Burn Strategy से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर
बायबैक और बर्न से टोकन का मूल्य कैसे बढ़ता है?
बायबैक और बर्न के माध्यम से टोकन की समग्र आपूर्ति को कम करके, टोकन की कमी बढ़ सकती है, जिससे उनके कथित मूल्य में वृद्धि हो सकती है।
बायबैक एंड बर्न स्ट्रैटेजी के फायदे क्या हैं?
बायबैक और बर्न रणनीति के लाभों में टोकन मूल्य में संभावित वृद्धि, बेहतर तरलता और धारकों के लिए अधिक आकर्षक निवेश अवसर शामिल हैं।
बायबैक और बर्न कब तक चलता है?
बायबैक और बर्न रणनीति की अवधि अलग-अलग हो सकती है, और एक विशिष्ट अवधि तक जारी या सीमित हो सकती है।
Crypto Buyback and Burn Strategy से संबंधित निवेश जोखिम क्या है?
सभी निवेशों की तरह, बायबैक और बर्न रणनीति से जुड़े जोखिम हैं, जिसमें बाजार में उतार-चढ़ाव और संभावना है कि रणनीति टोकन मूल्य बढ़ाने में सफल नहीं हो सकती है।
बायबैक और बर्न से संबंधित टैक्स निहितार्थ क्या है?
बायबैक और बर्न रणनीति के कर निहितार्थ क्षेत्राधिकार और विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। बायबैक और बर्न रणनीति के संभावित कर प्रभावों पर सलाह के लिए कर पेशेवर से परामर्श करना उचित है।
बायबैक और बर्न रणनीति क्या है?
बायबैक और बर्न रणनीति कुछ क्रिप्टो मुद्रा कंपनियों द्वारा उनके टोकन की आपूर्ति को कम करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक विधि है, जो शेष टोकन के मूल्य को बढ़ा सकती है।