आज हम बात करेंगे DEFI KYA HOTA HAI? जब हम बैंक में पैसे जमा करते हैं तो बैंक हमें कुछ ब्याज देता है साथ ही उसे उससे ज्यादा इंटरेस्ट, ब्याज में किसी दूसरे को दे देता है और उससे एक मोटी रकम ब्याज के रूप में वसूल करता है,
लेकिन इन सबके बीच हमें यह नहीं पता होता कि हमारा पैसा कहां जा रहा है, किसके पास जा रहा है और बैंक उससे कितना पैसा कमा रहा है।
यह सब कुछ हमे नहीं पता होता लेकिन मैं आपसे कहूं कि एक ऐसा भी सिस्टम है जिसमें आपको यह सब पता हो और पता ही ना हो आपको उसका पूरा ब्याज भी मिले
तो आप चौक जायेंगे ना
परन्तु यह सब हो पा रहा है DEFI अर्थात Decentralized Finance SYSTUM की वजह से,
आज विस्तार से जानेंगे कि DEFI होता क्या है साथ ही यह भी जानेंगे कि हमारे पारंपरिक फाइनेंस यानी Traditional Finance से अलग कैसे है?
और यह सब जानने के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना होगा
सबसे पहले जानेंगे कि
DEFI कैसे काम करता है? आर्टिकल को आप सुन भी सकतें हैं
आर्टिकल बोलता है।
Table of Contents
Decentralized Finance क्या होता है?
DEFI के जिंदगी का एक ही मकसद है की फाइनेंस की दुनिया में एक ऐसा माहौल बनाना जो ओपन सोर्स हो
यानी कि सभी के लिए उपलब्ध हो
वो लोग भी एक्सेस कर सकते हैं जिनके पास बैंक अकाउंट ना हो इसके अलावा परमिशन लेस अर्थात किसी इंस्टिट्यूट या किसी बैंक का उस पर नियंत्रण न हो और इंस्टिट्यूशन यह नहीं डिसाइड करें किसको अपनी सुविधा देंगे या किसको नहीं? और यह ट्रांसपररेन्ट हो
अर्थात हर व्यक्ति यह देख सके कि किसका पैसा कहां और कब कितने ब्याज पर दिया गया।
DEFI में बैंक की जगह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट होता है
Decentralized Finance में गोल्ड, प्रोपर्टी एसिड के बजाय डिजिटल करेंसी का प्रयोग किया जाता है
जैसे Bitcoin, Tether Coin, USD Coin इत्यादि
आइए समझते की
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DEFI कैसे काम करता है?
इसे एक उदाहरण से समझते हैं की मांन लीजिए राम के पास ₹100000 है और राम इंटरेस्ट कमाना चाहते हैं,
ऐसे में राम उन पैसों को इन इस्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में पैसा जमा करेंगे और जैसे कोई जिन्हें उन पैसों की आवश्यकता होगी वह इंसान अपना क्रिप्टो एसिड रखकर बदले में उन्हें पैसे दे दिए जाएंगे
जैसे स्याम के पास बिटकॉइन है और पैसों की जरूरत है पर वह बिटकॉइन को बेंचना नहीं चाहते
तो ऐसे में श्याम अपने बिटकॉइन Decentralized Finance में गिरवी रखकर उन पैसों को ले लेंगे
इस बात का ध्यान रखें कि श्याम अपने बिटकॉइन बेंच नहीं रहा बल्कि गिरवी रख रहा है, वह कभी भी तय ब्याज और पैसे देकर अपने बिटकॉइन ले सकता है।
Defi का एडवांटेज है स्याम जो ब्याज देगा वह सीधा राम को मिल जाएगा
और यह संभव हो पाता है इस्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए
क्योंकि इस्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट मिडिल मैन के तौर पर बहुत ही यूज़फुल होता है।
साथ ही यह Block chain पर आधारित होता है इस तरह से प्रोग्राम्ड होता है कि अगर राम जैसे ही अपने पैसे Usd coin में बदलकर डिसेंट्रलाइज फाइनेंस में जमा करते हैं और स्याम अपने बिटकॉइन Decentralized Finance में गिरवी रखते हैं वैसे ही स्याम को पैसे मिल जाते हैं और राम को उसी समय से व्याज मिलना शुरू हो जाता है।
आमतौर पर DEFI में Stable Coin का यूज़ होता है
क्योंकि स्टेबल कॉइन ज्यादा वोलेटाइल नहीं होते।
Traditional Finance और DEFI में क्या अंतर है?
1. ट्रांजिशनल फाइनेंस बैंक आपके पैसे को बैंक मैनेज करता है और Decentralized Finance में आप अपने पैसे को खुद मैनेज करते हैं
2. ट्रेडिशनल फाइनेंस में केवाईसी(KYC) अर्थात नो योर कस्टमर की जरूरत पड़ती है परंतु डिसेंट्रलाइज फाइनेंस में केवाईसी की जरूरत नहीं पड़ती है किसी के बगैर भी डिसेंट्रलाइज फाइनेंस स्क्वेयर होता।
3. ट्रेडिशनल फाइनेंस में किसी भी तरह की सर्विस लेने के पहले आपको उसकी परमिशन लेनी पड़ती है लेकिन लेकिन Decentralized Finance जो है वह परमीशनलेस होता है यहां पर कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का बेनिफिट ले सकता है।
4. दुनिया के ज्यादातर ट्रेडिशनल फाइनेंस जो है उनकी सर्विस का दायरा सीमित होता है मतलब कोई अमेरिका का आदमी, वह भारत के आदमी का सर्विस नहीं ले सकता और इंडिया का आदमी अमेरिका की सर्विस नहीं ले सकता
लेकिन Decentralized Finance ब्लॉक चैन नेटवर्क पर काम करता है, DEFI ग्लोबल होता है जो दुनिया भर के किसी भी देश का कोई भी व्यक्ति यूज़ कर सकता है और उस सर्विस से अपना फायदा उठा सकता है, किसी दूसरे देश का व्यक्ति, किसी दूसरे देश के व्यक्ति से सर्विस आसानी से ले सकता
बस दोनों के पास इंटरनेट होना चाहिए
आइए जानते हैं
Decentralized Finance कब आया?
देखिए 2009 में बिटकॉइन के आने के साथ ही डिसेंट्रलाइज फाइनेंस सुविधा चालू हो गई थी लेकिन इसका टर्निंग प्वाइंट 2017 में जब Maker प्रोटोकॉल लांच हुआ
जो की एक एथेरियम बेस्ट प्रोटोकॉल था
इसकी हेल्प से पहली बार ब्लॉकचैन पर लोन लेने की प्रक्रिया शुरू हुई थी जाहिर है यह किसी बैंक के दखलंदाजी के बिना आप आसानी तरीके से लोन ले सकते थे।
यहीं से जरूरत महसूस हुई Stable Coin की
जो लेनदेन को और विश्वसनीय बना सके क्रिप्टोकरेंसी का वैलेंटाइन होने की वजह से लोगों का यहां उधार लेना और उधार देना दोनों ही रिस्की भरा था
इसलिए मेकर दाओं का अपना खुद का Stable coin लाया जो कि यूएस डॉलर से बेस्ड था USD coin, USDT Coin यह सब Ethereum बेस्ट ही कॉइन थे
ऐसे ही धीरे-धीरे अन्य प्रोटोकॉल आने लगे जैसे जैसे कंपाउंड प्रोटोकॉल 2018 में आया जिसकी सहायता से उधार लेना और देना और भी आसान हो गया
फिर 2018 में ही UNISWAP एक्सचेंज की शुरुआत हुई
इस पर हम सिर्फ तो ERC 20 tokens ही एक्सचेंज कर सकते थे।
इस तरह Decentralized Finance सर्विस को लोगों ने काफी पसंद किया और यह एक बढ़ता हुआ बाजार के रूप में उभरता दिखाई दे रहा है।
Forbes के रिपोर्ट के अनुसार 1 जानकारी 20220 तक Defi मार्केट कैप 15.6 बिलियन डॉलर था
इंडिया में Decentralized Finance तेजी से बढ़ रहा है, अगर ग्लोबल देसी DEFI अडॉप्शन की बात किया जाए तो भारत का छठवां स्थान आता है दुनिया में सबसे ज्यादा अमेरिका वियतनाम और थाईलैंड में है
लेकिन बाययूकॉइन के सीईओ शिवम ठकराल का कहना है अगर भारत में Decentralized Finance का मास लेवल एडॉप्शन होने लगे
तो दुनिया में इंडिया डेफि में पहले स्थान पर आ सकता है।
यह सब जानने के बाद आप डेफि में इन्वेस्ट करना शुरू करें इसके आपको नुकसान भी जान लेने चाहिए।
DEFI (Decentralized Finance) के क्या फायदे हैं?
विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्मित एक वित्तीय प्रणाली को संदर्भित करता है जो एक विकेंद्रीकृत, ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म पर काम करता है। DeFi के कुछ फायदों में शामिल हैं:
- अभिगम्यता: डेफी प्लेटफॉर्म को दुनिया में कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है, जिससे कोई भी इंटरनेट कनेक्शन के साथ भाग ले सकता है।
- सुरक्षा: DeFi प्लेटफॉर्म ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया गया है, जो उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है और धोखाधड़ी या हैकिंग के जोखिम को कम करता है।
- पारदर्शिता: डेफी प्लेटफॉर्म पर लेन-देन ब्लॉकचेन पर सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं, पारदर्शिता प्रदान करते हैं और भ्रष्टाचार की संभावना को कम करते हैं।
- सेंसरशिप प्रतिरोध: DeFi विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर काम करता है जो किसी एक इकाई द्वारा नियंत्रित नहीं होता है, जिससे यह सेंसरशिप या सरकारों या अन्य संस्थाओं द्वारा हस्तक्षेप के लिए कम संवेदनशील हो जाता है।
- बेहतर वित्तीय सेवाएं: DeFi वित्तीय सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है, जैसे उधार देना, उधार लेना और व्यापार करना, जो अक्सर पारंपरिक वित्तीय सेवाओं की तुलना में अधिक सुलभ और सस्ती होती हैं।
- सामुदायिक स्वामित्व: डेफी प्लेटफॉर्म अक्सर उपयोगकर्ताओं और डेवलपर्स के समुदायों द्वारा चलाए जाते हैं, जिससे एक अधिक न्यायसंगत वित्तीय प्रणाली का निर्माण होता है।
- इंटरऑपरेबिलिटी: डेफी प्लेटफॉर्म एक दूसरे से आसानी से जुड़ सकते हैं और एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकते हैं, एक अधिक परस्पर और कुशल वित्तीय प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं।
हालाँकि, DeFi अपने जोखिमों और चुनौतियों के अपने सेट के साथ आता है, जैसे कि उच्च अस्थिरता, स्मार्ट अनुबंध त्रुटियों और कानूनी सुरक्षा की कमी की संभावना। डेफी में भाग लेने से पहले जोखिमों को अच्छी तरह से समझना महत्वपूर्ण है।
DEFI के क्या नुकसान हैं?
1. Decentralized Finance की स्केलेबिलिटी लो है अर्थात इसकी ट्रांजैक्शन स्पीड कम है और ट्रांजैक्शन कॉस्ट भी अधिक है।
2. चीज फ्रीडम के साथ-साथ बहुत सारी जिम्मेदारी भी आती है Decentralized Finance में सारी चीजें ब्लॉकचेन आधारित होती है तो ऐसे में यूजेर्स से कोई मिस्टेक होती है तो उसने किसी इंटरमीडियरी की जिम्मेदारी नहीं होती है यूजर्स खुद उसका जिम्मेदार होता है।
इसलिए डेफ़ि में ऐसे टूल्स की जरूरत है, जो असुबिधा और मिस्टेक्स को अवॉइड करें।
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DEFI KYA HAI? को लेकर अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
डेफी क्या है?
डेफी ब्लॉकचेन पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाला एक प्लेटफॉर्म है और डेफी के जिंदगी का एक ही मकसद है की फाइनेंस की दुनिया में एक ऐसा माहौल बनाना जो ओपन सोर्स हो
यानी कि सभी के लिए उपलब्ध हो, बिचौलियों को हटाती है अर्थात किसी इंस्टिट्यूट या किसी बैंक का उस पर नियंत्रण न हो और इंस्टिट्यूशन यह नहीं डिसाइड करें किसको अपनी सुविधा देंगे या किसको नहीं? और यह ट्रांसपररेन्ट हो, अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं
डेफी कैसे काम करता है?
डेफी अपने प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक चेन पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट पर काम करती है, लेन-देन के बीच में बिचौलियों को हटाती है अर्थात ट्रांसपेरेंट बनाती है, और अधिक जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं.
DEFI कब आया?
देखिए 2009 में बिटकॉइन के आने के साथ ही डिसेंट्रलाइज फाइनेंस सुविधा चालू हो गई थी लेकिन इसका टर्निंग प्वाइंट 2017 में जब Maker प्रोटोकॉल लांच हुआ
जो की एक एथेरियम बेस्ट प्रोटोकॉल था, और अधिक जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं.
Decentralized Finance के क्या नुकसान हैं?
Decentralized Finance की स्केलेबिलिटी लो है अर्थात इसकी ट्रांजैक्शन स्पीड कम है और ट्रांजैक्शन कॉस्ट भी अधिक है। विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं.
Traditional Finance और Decentralized Finance (DEFI) में क्या अंतर है?
ट्रांजिशनल फाइनेंस बैंक आपके पैसे को बैंक मैनेज करता है और Decentralized Finance में आप अपने पैसे को खुद मैनेज करते हैं, विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं.
Plenty of dApps and NFT projects are build upon the Ethereum blockchain.